Bhishma Pitamah nibandh in Hindi : महाभारत की जब भी बात आती है तो एक नाम हमारे जवान पर जरूर आता है वह है Bhishma Pitamah का जन्म पितामह के नाम से भी जानते हैं हम सभी जानते हैं कि महाभारत एक महाकाव्य है और जिनके सबसे पवित्र और सबसे प्रसिद्ध पात्र हैं विश्व प्रताप और Bhishma Pitamah और एवं माता के पुत्र शांतनु से वचन लिया था कि वह कभी भी कुछ भी करें तो उन्हें टोका नहीं जाए और अन्यथा ऐसा करेंगे तो वह चली जाएंगी और महाराज शांतनु ने वचन देते हैं
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और महाराज शांतनु कि जीवन में भी बहुत सारी ऐसी कठिनाइयां थी जिनके बाद विश्व पितामह ने भी उनका सामना किया और उन्होंने प्रण लिया कि वह जिंदगी भर किसी से भी शादी नहीं करेंगे और इसी की वजह से भीष्म पितामह ने उम्र भर किसी से शादी नहीं करी और जाता है कि उन्होंने तकरीबन 58 दिन तक बाणों की शैया पर लेटे थे और आप लोगों को यही बताएंगे कौन थे और भीष्म पितामह से जुड़े हुए कौन से ऐसे इंटरेस्टिंग फैक्ट्स जो नहीं जानते।
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Who was Bhishma Pitamah?( भीष्म पितामह कौन थे ?)
यदि हम बात करें विष्णु पिता मां के तो विष्णु पिता मां माता गंगा और महाराज शांतनु के पुत्र थे और विश्वकर्मा की जयंती को विश्व अष्टमी के नाम से मनाया जाता है ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने 58 दिन तक तीरों की शैया पर लेट कर बताए थे और महाभारत में उनका एक ऐसा पात्रता जिसकी वजह से महाभारत में एक ऐसा पात्र था जिसमें महाभारत में बहुत बड़ा योगदान दिया था विश्व पितामह इतनी शक्तिशाली थे कि उन्हें हरा पाना नामुमकिन था
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और महाभारत में उन्होंने कोई नहीं हरा पाया था भीष्म पितामह का मृत्यु का कारण विविध आवेदन देकर रखा था जिसका संबंध काशी के राजा की पुत्री अंबा से उन्होंने माता सत्यवती को यह वचन दिया था कि वह हस्तिनापुर के सिंहासन पर कभी नहीं बैठेंगे राज्य वन सिंह राशन के प्रति वफादार रहेंगे और सत्यवती नहीं है वचन को पूरा करते हुए उनसे यह वचन या ताकि वह अपने पुत्र को ही सिंहासन से बैठेंगे और ऐसा ही हुआ और जिसकी वजह से उन्होंने आजीवन कभी भी शादी नहीं करें और वह अंत तक हस्तिनापुर के सिंहासन के प्रति वफादार ही रहे।
Death of Bhishma Pitamah ( भीष्म पितामह की मृत्यु)
हम सभी जानते हैं कि पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध झड़ चुका था और जब भीष्म पितामह ने कौरवों की सेना का साथ दिया था ऐसा कहा जाता है कि भीष्म पितामह को हराना नामुमकिन था और उनके सामने पांडवों की सेना भी हल्की पड़ रही थी पर जैसा कि हम सब जानते हैं कि श्री कृष्ण भगवान देख पांडवों के साथ और उन्होंने यह निश्चित कर लिया था कि यदि उन्हें पांडवों को जब आना है तो विश्व पितामह की मृत्यु होना अनिवार्य है
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और उन्होंने अर्जुन को यह समस्या का समाधान समझाते हुए श्रीखंडी जो कि अंबा का रूप थे आधा न और आधी नारी थी इसी की वजह से उन्हें युद्ध में लाया गया और इसी ने उनकी मौत का कारण बने उन्हें इच्छा मृत्यु प्राप्त थी और इसी की वजह से वह श्रीखंडी की ढाल बनाकर उन्होंने अर्जुन ने बाणों की शैया पर विश्व बतावा को लिटा दिया और जिस पर उन्होंने 58 दिन तक जीवन यापन के और उसके बाद उन्होंने अपनी मृत्यु मांग ली और उसी के बाद विश्व पितामह की मृत्यु हुई।
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