Andhe Ki Lakdi Hona Muhavara -अंधे की लकड़ी होना (मात्र एक सहारा) यह कहानी एक छोटे बच्चे की हैं । जिसका बचपन एक कूड़े के ढेर में बीत जाता हैं । वह अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिये वह बच्चा नंगे पैर दौड़ धूप करता हैं । मानो परिवार का मात्र एक सहारा हो ।
यह कहानी एक ऐसे बच्चे की हैं जो चार भाई बहन में तीसरे नंबर पर था परिवार में माता पिता दो भाई और एक बहन हैं लेकिन घर में गरीबी बहुत हैं । घर का गुजारा नहीं होता वह ऐसी एक जगह पर रहते हैं जहाँ न पानी और न बिजली की सुविधा हैं झुगी झोपड़ी में रहते हैं । गरीबी के कारण उन्हें अपना गाँव छोड़कर यहाँ रहना पड़ा गरीबी के कारण मुकेश ने बचपन में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी मानो अपने परिवार का मात्र एक सहारा हो ।
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कूड़ा डालने वाले जब सुबह वहाँ आते तो मुकेश सबसे पहले पहुँच जाता था उस कूड़े के ढेर में जो भी मिलता था उसके लिए तो किसी सोने से कम नहीं था । कभी कभी उसे पैसे मिलते तो कभी उसे कुछ और वस्तु मिल जाती वह उसे बेच कर जो पैसे लाता उसे घर खर्च में देता था । मुकेश की माँ उसे कहती थी कि मेरे घर का तो तू ही मात्र एक सहारा है ।
जिसे घर की चिन्ता रहती हैं किसी और को नही तू तो मेरा सबसे अच्छा बेटा हैं । एक दिन मुकेश कूड़ा बिन्ने के बाद अपने दोस्तो के साथ घर वापस आ रहा था तो उसे एक अखबार वाला मिलता हैं । जो खबर छापने का काम करता हैं वह सभी बच्चों से पूछता हैं कि आप स्कूल क्यो नहीं जाते आप पढ़ते क्यो नहीं ?
यह बात सुन सभी बच्चे हँसने लगते हैं स्कूल कैसा होता हैं ? हमने तो स्कूल देखा नहीं यह कहकर वह चले जाते हैं । अगली सुबह बच्चे कूड़े आने का इन्तजार करते हैं और फिर उनको वही अखबार वाला मिलता हैं । वह बच्चों से फिर पूछता हैं कि क्या तुम पढ़ना चाहोगे ? बच्चे हँसते हुए बोले कि आप हमे पढ़ाओगे ? आप हमारे लिए स्कूल बनवाओगे ?
अखबार वाला कहता हैं हाँ मैं स्कूल बनवाऊँगा अगर आप सभी पढ़ोगे तो लेकिन मुकेश चुपचाप खड़ा था क्योँकि वह तो मानो अपने घर का मात्र एक सहारा था । मुकेश भी पढ़ना चाहता था लेकिन क्या करता वह तो बस सोचता रहता था मैं अपनए घर का मात्र एक सहारा हूँ । जो कूड़ा बिन कर घर का गुजारा चलाता हूँ अगर मैं स्कूल में चला गया तो हमारे घर का गुजारा कैसे चलेगा ?
मुकेश बहुत परेशान था अब वो क्या करे वह पढ़ना भी चाहता हैं और काम भी । घर में काम करने वाला वही एक बच्चा था जो घर का मात्र एक सहारा हैं । मुकेश के पिता जी हमेशा बिमार रहते हैं और माता जी उनकी देखभाल करती हैं । घर में खाने के लिए भी कुछ नहीं होता मुकेश कूड़ा बिन कर जो पैसे लाता उसी से घर का गुजारा होता था ।
कुछ समय बाद वह अखबार वाला फिर मिलता हैं और बच्चे उससे पूछते कि आपने स्कूल बना दिया क्या ? स्कूल बनकर तैयार हो गया ? अब हम पढ़ सकते हैं । अखबार वाला नहीं अभी नहीं बना स्कूल बनाने में बहुत समय लगता हैं । मैं तो अखबार वाला हूँ आपकी आवाज सरकार तक पहुँचाना मेरा काम हैं ।
बच्चे. फिर आपने हमसे क्यों पूछा कि पढ़ना चाहोगे ?
अखबार वाला. आप सभी छोटे बच्चे हो और कूड़ा बिनने का काम करते हो ।
बच्चे. क्या हम कभी भी स्कूल नहीं जायेंगे ?
अखबार वाला. आप सभी स्कूल पढ़ने के लिए जाओगे ।
बच्चे. कब जायेंगे ?
अखबार वाला. बहुत जल्दी
बच्चे. आप हमे पढ़ाओगे ना मास्टर जी ?
अखबार वाला. मैं मास्टर जी नहीं हूँ न ही मैं आप सभी को पढ़ाऊंगा । मैं तो खबर छापता हूँ मैं अखबार वाला हूँ ।
बच्चे. फिर कौन पढ़ायेगा हमें ?
अखबार वाला. आप सभी स्कूल जाओगे और वहाँ के अध्यापक आपको पढ़ायेंगे ।
मुकेश चुपचाप खड़ा था और सोच रहा था मैं क्या करू ? मैं घर में कमाने वाला मात्र एक सहारा हूँ
अखबार वाला. मुकेश से पूछता हैं क्या हुआ बच्चे आप इतने शांत क्यों खड़े हो ?
मुकेश. मैं क्या करू ? मैं तो पढ़ नहीं पाऊंगा मेरे घर में कमाने वाला कोई ओर नहीं हैं । मेरे पिता जी बिमार रहते हैं । माता जी उनकी देखभाल करती हैं । दूसरे भाई बहन कुछ करते नहीं । मैं घर में कमाने वाला मात्र एक सहारा हूँ । मैं कैसे पढ़ सकता हूँ मुझे तो काम करना हैं मुझे कूड़ा बिनने के सिवा कुछ और काम नहीं आता मुझे तो बस यही काम आता हैं ।
अखबार वाला. देखो मुकेश अभी तुम छोटे बच्चे हो तुम्हारी उम्र तो पढ़ने और खिलौनों से खेलने की हैं तुम काम नहीं कर सकते जब तुम बड़े हो जाओगे तब करना ।
मुकेश. नहीं सर नहीं पढ़ने के बारे में कैसे सोच सकता हूँ घर में कमाने वाला कोई भी नहीं मैं ही एक मात्र सहारा हूँ मैं पैसे नहीं कमाऊँगा तो घर का खर्च कैसे चलेगा ?
अखबार वाला. मुकेश मेरी बात सुनो मैं तुम्हें काम दूँगा तुम काम भी करोगे और पढ़ोगे भी ठीक हैं ।
मुकेश. सर मैं पढ़ूँगा और जो काम आप दोगे उसे भी करूँगा सर मैं पढ़ना चाहता हूँ ।
बच्चे. सर हमारे पास न तो अच्छे कपड़े हैं और न ही किताबे न जूते और न ही हमारे पास स्कूल फिस हैं देने के लिए ।
अखबार वाला. देखो बच्चो सरकार ने ये सुविधा गरीब बच्चो के लिए पहले से तय कर रखी हैं । तुम्हें सरकार के तरफ से मुफ्त किताबे, कपड़े और जूते भी मिलेंगे । और स्कूल में ही अच्छा खाना भी मिलेगा ।
बच्चे. ठीक हैं सर हम सब स्कूल जायेंगे ।
अखबार वाला. बच्चो तुम आज के बाद कूड़ा बिनने का काम नहीं करोगे ।
बच्चे. ठीक हैं सर । सर हम स्कूल कब जायेंगे और हमारा स्कूल कहाँ पर होगा ।
अखबार वाला. बहुत जल्दी जाओगे । तुम्हारा स्कूल सरकारी होगा ।
मुकेश. सर आपने स्कूल जाने के लिए तो बोल दिया लेकिन मुझे काम तो दिया ही नहीं मैं स्कूल चला गया तो मेरे घर का खर्च कैसे चलेगा क्योँकि मैं ही एक मात्र सहारा हूँ । अपने घर के लिए कमाने वाला ओर कोई नहीं आप मुझे बताओ के काम कब दोगे पहले में काम करूँगा और फिर स्कूल जाऊँगा । सर आप मुझे काम दोगे ना ?
अखबार वाला. हाँ मुकेश मैं तुम्हें काम दूँगा तुम रोज सुबह पाँच बजे उठकर अखबार बेचना फिर सुबह आठ बजे स्कूल जाना ठीक हैं । अब तो तुम पढ़ोगे ।
मुकेश. ठीक हैं सर मैं पढूँगा और अखबार भी बेचूंगा मैं रोज सुबह जल्दी उठूंगा पहले मैं काम करूँगा फिर स्कूल जाऊँगा क्योँकि मैं एक मात्र सहारा हूँ अपने घर का ।
मुकेश सुबह जल्दी उठकर वहाँ पर गया जहाँ अखबार वाले ने उसे आने के लिए कहा था । वह कुछ देर तक इन्तजार करता रहा मगर अखबार वाला नहीं आया । मुकेश बहुत परेशान हो गया और घर चला गया ।
अगले दिन मुकेश फिर पाँच बजे उठा और वहाँ पर गया जहाँ अखबार वाले को आना था । वह अगले दिन भी नही आया । मुकेश ओर भी परेशान हो गया अब क्या करू घर में कुछ खाने को भी नही और पिता जी की दवाई के पैसे भी नहीं मैं ही तो घर का मात्र एक सहारा हूँ ।
मुकेश अगले दिन कूड़े के ढेर पर गया और कूड़ा बिनने लगा क्योँकि उसे कूड़ा बिन के जो पैसे मिलते थे उसी से उसके घर का गुजारा होता था । मानो अपनाए परिवार की जरूरतो को पूरा करने वाला वह एक ही था । जैसे अंधे की लकड़ी होना (मात्र एक सहारा होना) ।
पहले की तरह अब मुकेश अपने दोस्तो के साथ मिलकर कूड़ा बिनने लगता हैं । उसके लिए तो वह सोने के बराबर था । कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा मुकेश की उम्मीद पूरी तरह टूट चुकी थी । उसको ऐसा लगने लगा था कि अब अखबार वाला नहीं आयेगा वह तो झूठा था ।
मुकेश उसे पूरी तरह भुल चुका था । अब उसकी मदद करने वाला कोई नहीं आयेगा । एक दिन मुकेश कूड़ा बिन रहा था अखबार वाला फिर आया और मुकेश से बोला मैंने तुम्हें कूड़ा बिनने से मना किया था फिर तुम कूड़ा बिनने क्यो आये ?
मुकेश. क्या करू साहब घर का गुजारा नहीं चलता क्योँकि मैं ही मात्र एक सहारा हूँ जो घर का खर्च चलाता हैं । साहब आप इतने दिनों नहीं आये तो मुझे लगा कि अब आप आओगे नहीं आप कहाँ थे ? सर आप क्यो नहीं आये ?
अखबार वाला. मैं तुम्हारे लिये स्कूल ढूँढ रहा था जहाँ तुम पढ़ सको तुम्हें अच्छे कपड़े मिल सके अच्छी किताबे और अच्छा खाना मिल सके ।
मुकेश. साहब वह स्कूल कौन सा होगा जहाँ हमे ये सारी सुविधा मिल सके ?
अखबार वाला. मुकेश सरकारी स्कूल जहाँ सरकार ने सभी सुविधा दी ।
मुकेश. साहब आप हमे अखबार बेचने का काम कब दोगे ? ताकि घर खर्च के पैसे दे सकू पिता जी की दवाई भी खत्म हो गई घर में खाने के लिए भी कुछ नहीं साहब आपको पता हैं कि मैं ही घर में कमाने वाला हूँ अपने घर का मात्र एक सहारा हूँ ।
अखबार वाला. सुबह पाँच बजे उठकर आ जाना पहले अखबार बाँटना ओर फिर आठ बजे स्कूल जाना ।
मुकेश. ठीक हैं साहब मैं पाँच बजे तैयार रहूँगा । पहले अखबार बाटुँगा और फिर स्कूल जाऊँगा ।
मुकेश कूड़ा बिनने का काम छोड़ कर अखबार बाँटने का काम करने लगा । पहले वह घर घर जाकर अखबार बाँटता फिर था बाद स्कूल जाता था । कुछ समय बाद मुकेश बड़ा हो गया था ।
वह खुद भी पढ़ता था और झुगी झोपड़ी वाले बच्चो को भी पढ़ाता था । वह घर का ही नहीं मानो पूरी बस्ती का मात्र एक सहारा बन गया था । मुकेश ने अपनी बस्ती में लाईट भी लगवा दी थी अब पूरी बस्ती रोशनी से जगमगा उठी थी ।
पीने के पानी की भी सुविधा हो गई थी । अप पूरी बस्ती के बच्चों को मुकेश ही पढ़ाता था । मुकेश अब एक बड़ा आदमी बन गया था ।
Table of Contents
FAQ Related to Andhe Ki Lakdi Hona
इस कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती हैं ?
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि जैसे मुकेश अपने घर का मात्र एक सहारा था वैसे हमने भी अपने घर का सहारा बनना चाहिए ।
अंधे की लकड़ी होना (मात्र एक सहारा) यह कहानी हमें क्या दर्शाती हैं ?
यह कहानी हमें दर्शाती हैं कि हमें अपने घर वालो का सहारा बनना चाहिए ।
मुकेश क्या काम करता था और क्यो ?
मुकेश कूड़ा बिनने का काम करता था क्योँकि वह गरीब था । उसके घर उसके अलावा काम करने वाला कोई नहीं था ।
मुकेश और उसके दोस्तों को कौन मिला था ?
मुकेश और उसके दोस्तों को एक अखबार वाला मिला था ।
अखबार वाले ने बच्चों को क्या शिक्षा दी और क्यों ?
अखबार वाले ने बच्चों को पढ़ने कि शिक्षा दी ताकि बच्चे पढ़ सके और कूड़ा बिनने का काम छोड़ दे ।
मुकेश के घर में कौन कौन थे ?
मुकेश के घर में उसके पिता जी, माता जी, दो भाई और एक छोटी बहन थी ।
Final Words for Andhe Ki Lakdi Hona
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल ‘Andhe Ki Lakdi Hona’ पसंद आया होगा ।
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