Sant Kabir Das Biography in Hindi | Sant Kabir Das Jayanti 2024

इस आर्टिकल में हम जानेंगे Sant Kabir Das Biography in Hindi, संत कबीर दस जयंती 2024 में कब है और कबीर दस का जीवन परिचय के विषय में ।

जीवन परिचय →

कुबीर दास जी एक महंत कृवि थे। काबीर दास जी हमारे देश के महान कवि थे। इन्होंने हिन्दू माता के गर्भ से जन्म लिया। जिन्होंने भक्ति काल में जन्म लिया। और ऐसी अद्भुत रचनाएँ की जिससे वे अमर हो गये। और मुस्लिम अभिभाषको द्वारा इनका पालन पोषण किया गया। उन्होंने दोनो धर्मो को मान्यता दी। वे पैरो से बुनकर थे।

Sant Kabir Das Biography in Hindi | संत कबीर दास जी का संक्षिप्त परिचय

नामसद्गुरु कबीर दास जी महाराज
जन्मस्थानकाशी (वाराणसी) में
जन्म1398 ई० गुरू – सद्गुरु रामानन्द जी
पत्नीलोई जी
पुत्रकमाल       पुत्री – कमाली
भाषासधुल्कड़ी, पंचमेल और खिचडी,
शैलीखण्डनात्मक, अनुभूति व्यंजक और उपदेशात्मक
लेखन विद्याकाव्य
प्रमुख रचनाएँसाखी, सबद एवं रमैनी
मृत्यु1518 ई0 में
साहित्य मे स्थानभक्ति काल की ज्ञानाश्रयी व संत काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि के रूप मे प्रतिष्ठित।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा →

सन् 1398 मे कबीर दास जी का जन्म काशी के वाराणसी क्षेत्र मे हुआ था। इनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। काबीर दास जी प्रसिद्ध संत रामानन्द जी को अपना गुरू मानते थे। इनके पुत्र कमाल और इनकी पुत्री का नाम कमाली था। कबीर दास का पालन पोषण जुलाहे दम्पति ने किया। कबीर दास लहरतारा को तालाब मै कमल पुष्प पर मिले थे। कबिर दास का विवाह लोई नामक स्त्री से हुआ था। जो कि हिन्दु परिवार से थी।

कबिर दास जी एक महान कवी थे। और वे समाज सुधारक भी थे। कबिर दास जी के दोहे काफी प्रसिद्ध थे। कबिर दास जी हिन्दी साहित्य निर्गुण भक्ति के कवी कहलाते थे। उन्होने अपना सार जीवन मानव की रक्षा करने में बिताया। कबीर दास जी हमारे इतिहास के महान प्रसिद्ध कवि कहलाते थे। कबीर पंथी मे मुसलमान भी है। उनका कहना है कि कबीर ने प्रसिद्ध सूफी मुसलमान फकीर शेख तकी से दीक्षा ली ये सूफी फकीर को ही उनका गुरु मानते हैं।

कबीर दास की शिक्षा

कबीर दास जी जब बड़े हुए तो उनको पता चला की वे ज्याद पढ़े-लिखे नहीं है। वे गरीब परिवार से थे। उनके पास खाने-पीने की वस्तुओं की परेशानी रहती थी। कबीर दास जी के पिता मन मे सोचते रहते थे। कि खाने-पीने की व्यवस्था कहाँ से करे। इसलिए वे कबीर दास जी को पढ़ा नही पाये।

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कबीर दास के विचार

कबीर दास जी समाज को सुधारने की सोच रखते थे। संत कबीर दास जी आजीवन समाज मे फैली बुराइयों और अंधविश्वास की निंदा करते थे। उन्होंने अपने दोहों के द्वारा जीवन जीने के लिए काफी सीख दी है। कबीर दास जी के दोहे बहुत ही सरल भाषा में होते थे। इसी कारण उनके दोहों को भी आसानी से समझ सकता था।

भाषा शैली कबीर दास जनसामन्य के कवि थे। उन्होंने सीधी भाषा को अपनाया जैसे हिन्दी, हरयाणवी, राजस्थानी, पंजाबी, और खडी भाषा का ज्यादा उपयोग करते थे। उनकी भाषा को सधुल्कड़ी, पंचमल, और खीचड़ी भी कहा जाता था।

प्रमुख रचनाएँ

साखी, सबद, एवं रमैनी, कबीर सागर, कबीर शब्दावली, कबीर दोहावली, कबीर ग्रंथावली आदि ।

साहित्य मे स्थान

कबीर दास जी ने जीवन के क्षेत्र मे सत्य और पावनता को बल दिया। और समाज सुधारक और राष्ट्रीय धार्मिक एकता का काव्यमय स्वरूप था। कबीर दास जी का हिन्दी साहित्य मे विशेष स्थान रहा। कबीर जी की पुत्री का विवाह तय हो गया था। कबीर दास जी बुनकर थे। वे अपने काम को ज्यादा महत्व देते थे। कबीर जी ने अपनी पुत्री की विवाह की तैयारी भी नहीं की थी। फिर उसकी माता ने कहा बेटा अपना काम मे ज्यादा मन लगा।

ताकि ज्यादा कमाकर अपनी पुत्री का विवाह कर सको वे बोलते थे मेरा प्रभु सब काम पूरा करेगा। उसकी घर मे खदर का एक थान रखा हुआ था। तब वह खदर का थान निकाल ले आई और बोली बेटा इससे अपने कपडे और बच्चो के कपडे बनवा लेना। कबीर दास जी अपनी माता की सब बाते मानते थे।

All about Sant Kabir Das Biography in Hindi | कबीर दास की पुत्री के विवाह की घटना →

जब कबीर दास खदर का थान लेकर जा रहे थे । तब उनको एक रास्ते में एक साधु मिला। वो कबीर जी से ही कबीर दास के घर का पता पूछने लगा। तो कबीर ने कहा कहो क्या काम है? तब साधु ने कबीर से कहा मुझे कपडो की जरूरत हैं। सुना हैं कबीर बड़ा रहमदिल और दानी है। मैं उसके घर से कुछ कपड़ा ले आऊँगा। कबीर जी ने सोचा अगर ये साधु मेरे घर गया तो कही मेरी माता को कही अपशब्द ना बोल दें।

तब उन्होने उस थान में से कुछ कपडा काटकर उसको दे दिया। साधु ने कहा इसमे मेरा कुछ नही होगा। तुम मुझे कबीर दास के घर का पता बता दो। मैं वही जा कर ले आऊँगा। तब कबीर ने पूछा तुम्हे कितना कपडा चाहिए। तब साधु ने कहा मुझे पूरा थान चाहिए। फिर कबीर जी ने उसको एक पल मे सारा थान उसको दे दिया। पर वे सोचने लगे की मै  घर जा कर माता को क्या जवाब दूंगा।

तब कबीर जी ने विचार बनाया की वे गंगा के किनारे राम नाम मे लीन हो कर प्रभु के आगे बिनती करने लगे। हे प्रभु मैने सारी जिंदगी तुझ पर भरोसा रखा हैं। आज मेरी बेटी का विवाह हैं। कृपा करके मेरे काम में प्रभु आप सहायक हो। दूसरी तरफ कबीर जी की बेटी का दिन आ गया। और उसकी माता इंतजार कर रही थी। तभी उसने आवाज दी माँ दरवाजा खोलो खुशी से दौड़ते हुए उसकी माता दरवाजे पर आई और देखा कबीर बैल पर बहुत सारा सामान लादे हुए था।

उसने उससे पूछा, की तुम ये सामान कहाँ से लाये हो। उसने अपनी माता से कहा मैंने खदर के थान को महंगे दाम मे बेच दिया। जिससे मै बच्चो के लिए नए कपडे और अपने लिए भी नए कपडे ले आया। उसने अपनी माता से, कहाँ माँ तु शक ना कर। ये खदर का थान जो आपने बड़े प्यार से बुना था। इसलिए आज काफी अच्छे अच्छे दाम मे बिक गया। और मे ये सब सारा सामान ले आया। तभी ही कुछ देर में बारात घर पर आ गई। और उसकी बेटी का विवाह बड़े धूम–धाम से हो गया।

ज्ञान मार्ग → ज्ञान मार्ग की बातें कबीर ने हिन्दु साधु संदी से ग्रहण की जिसमे सूफियों के संतसंग से उन्होंने प्रेम तत्व का मिश्रण किया। पंडितो और मुल्लो को खरी खरी सुनाई। और राम–रहिम की एकता समझा कर हृदय को शुद्ध प्रेममय करने का उद्देश्य दिया।

FAQ Related to Sant Kabir Das Jayanti

Sant Kabir Das Jayanti 2024 में कब है ?

इस साल 2024 में संत कबीर दास जयंती 22 जून शनिवार के दिन मनाई जायेगे

Final Words for Sant Kabir Das Jayanti 2024  

कबीर जी राम भक्त थे। कबीर की वाणी का संग्रह नाम से बीजक के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होने हिन्दू-मुसलमानों की एकता को बताया है। इनको हिन्दू-मुस्लिम दोनो ही मजहब के लोग मानते है। ऊपर लिखि पक्तियो मे इनके जीवन को दर्शाया गया है।

हम आशा करते हैं कि आप सबको हमारा यह आर्टिकल ‘Kabir Das Ka Jivan Prichay’ पसंद आया होगा । अपना किमती समय देकर यह आर्टिकल पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद ।

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