Pushpa Ke Badle Sharan Gautam Budha Ki Hindi Kahani

Pushpa Ke Badle Sharan Gautam Budha Ki Hindi Kahani : जब भी Gautam Budha का नाम आता है तो हमारे दिमाग में एक ऐसा चरित्र बनता है जोकि बहुत शांत होता है बहुत सकारात्मकता को देने वाला होता है । बहुत ही ज्यादा ऐसा होता है कि जो हमारे जीवन में काफी ज्यादा सकारात्मक प्रभाव करने वाला साबित होता है। Gautam Budha थे ही ऐसे प्रेरणा दायक व्यक्तिव जो हमारे को जीवन में काफी ज्यादा सिखाने वाले साबित होते हैं।

Pushpa Ke Badle Sharan Gautam Budha Ki Hindi Kahani

आज तक उनकी बातों को जो व्यक्ति मान लेता है अपने जीवन में उतार लेता है वह कहीं ना कहीं बिना किसी रूकावट के अपने जीवन में तरक्की हासिल कर लेता है। तरक्की से भी ज्यादा मन की शांति की प्राप्ति करता है । यदि मन शांत होता है तो हमारे जीवन में खुद-ब-खुद चीजें अपने आप अच्छी तरह से चलने लग जाती हैं और गौतम बुद्ध उसकी सबसे बड़ी मिसाल थे ।

तो आज के इस कहानी संग्रह में हम आप लोगों के लिए Gautam Budha से जुड़ी एक कहानी लेकर आए हैं जिसका नाम है पुष्प के बदले शरण दो आज के इस कहानी संग्रह में हम आप लोगों को बताएंगे कि कैसे गौतम बुद्ध ने पुष्प के बदले शरण दी और इस कहानी में क्या है वह जानते हैं बिना किसी देरी के।

एक बार की बात है गौतम बुद्ध मगध राज्य के एक गांव में ठहरे हुए थे। गांव से थोड़ा बाहर एक मोची रहता था वह तालाब के किनारे रहता था एक दिन की बात है जब मोची तालाब में नहाने जा रहा था। तो उसने देखा कि एक बहुत ही सुंदर फूल तालाब में था तालाब में वह फूल देखकर मोची बड़ा अचंभित हुआ ।

क्योंकि उसने उससे पहले वह फूल कभी नहीं देखा था मोची को वह फूल देखकर ऐसा मन में आया कि यह कहीं ना कहीं दिव्य फूल है मोची की पत्नी पूजा पाठ में रहा करती थी और धर्म दान में उसका मन था । वह गौतम बुद्ध के बारे में जानती थी जब मोची वह फूल लेकर अपने घर में गया तो घर में जाते हैं उसकी पत्नी ने कहा कि शायद गौतम बुद्ध उस तालाब के पास से निकले हैं । उनकी परछाई की वजह मात्र से यह फूल इतना दिव्य बन गया है ।

मोची को अपनी पत्नी की बात सुनकर मन में लालच आ गया और उसने सोचा कि क्यों ना इस फूल को राजा को दे दिया जाए । यदि वह राजा को वह फूल देगा तो रह जाओ उसे मुंह मांगा वरदान दे सकता है और वह उस में बहुत सारी सोने की अशर्फियां मांग लेगा मोची ने ऐसा ही किया । मोची उस फूल को उठाकर चल दिया राज्य की ओर जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा था मोची के मन में लालच और बढ़ता जा रहा था।

पहले उसने सोचा कि मैं 100 मुद्राएं मांग लूंगा फिर उसने सोचा नहीं मैं 500 सोने की मुद्रा मांगूंगा। मोची को रास्ते में चलते चलते एक व्यापारी व्यापारी ने उसी के हाथ में वह सुंदर फूल देखा और उससे पूछा कि तुम इस फूल को लेकर कहां चले जा रहे हो मित्र मोची ने जवाब दिया कि मैं राजा को यह फूल देने जा रहा हूं


इसके बदले में मुंह मांगी सोने की अशर्फियां मांग लूंगा और व्यापारी ने कहा कि तुम मुझे फूल दे दो मैं तुम्हें इसके बदले में 100 सोने की मुद्राएं दूंगा मोची के मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि जब यह व्यापारी मुझे 100 मुद्राएं दे सकता है तो राजा तो मुझे हजार मुद्राएं कम से कम दे ही देंगे मोची ने व्यापारी को फूल देने से मना कर दिया और वह आगे बढ़ गया आगे बढ़ते बढ़ते राजा गौतम बुद्ध से मिलने जा रहे थे और रास्ते में राजा की नजर मोची पर पड़ी।

राजा नहीं वह दिव्य पुष्पा को देखकर अपना रत रुकवाया और मौसी को अपने पास बुलाकर पूछा कि यह दिव्य पुष्प तुम्हारे पास कैसे आया मोची ने सहारा किस्सा राजा को सुना दिया और राजा ने कहा कि मैं तुम्हें हजार मुद्राएं दूंगा पर तुम्हें मुझे यह पुष्प देना होगा क्योंकि मैं है यह पुष्प गौतम बुद्ध को देना चाहता हूं।

राजा की बात सुनकर मोची को एक खायाल आया और मोची का सारा लालच खत्म हो गया और वह राजा की बात सुने बिना ही Gautam Budha की तरफ भागने लगा गौतम बुद्ध की तरफ भागते भागते । वह उनके पास पहुंचा और Gautam Budha के सामने में पुष्प अर्पित करके बोला कि हे भगवान मुझे क्षमा कर दीजिए मेरे दिमाग में लालच आ गया था ।

मैं यह नहीं समझ पा रहा था कि जिनकी छाया मात्र से यह पुष्प दिव्य बन गया तो यदि मैं उनके सानिध्य में अपना जीवन काटो तो मेरा जीवन का उद्धार हो सकता है । आप मुझे अपना शिष्य बना लीजिए और गौतम बुद्ध से मोची ने उन्हें गुजारिश की कि वह मुच्ची को अपना शिष्य बना लें Gautam Budha ने भी मोची को अपना शिष्य बना लिया और वह पूरी जिंदगी Gautam Budha का शिष्य बन कर ही रहा।

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FAQ Related To Pushpa Ke Badle Sharan Gautam Budha Ki Hindi Kahani

When was Gautam Budha born ?(गौतम बुध का जन्म कब हुआ?)

Gautam Budha का जन्म 563 ईसवी पूर्व हुआ था।

Final Words For Pushpa Ke Badle Sharan Gautam Budha Ki Hindi Kahani

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए यदि लालच हमारे मन में आता भी है तो हमारे दिमाग में हमें यह सोचना चाहिए कि इससे हमें फायदा क्या होगा हमें हमेशा अपने जीवन को धर्म के रास्ते पर रखना चाहिए । ताकि हम जीवन में सही सही चल सके हमारे जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आते हैं हमारे जीवन में हमें बहुत बार लालच भी आ जाता है ।

अपनी परेशानियों की वजह से पर हमें उस वक्त में यह समझना चाहिए कि यदि हम धन का लालच कर रहे हैं तो वह कितने दिन चलेगा इसीलिए हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए।

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