Akal Ke Bina Nakal Ki Hindi Kahani : हम जिंदगी में बहुत चीजें खो देते हैं अपने घमंड की वजह से जब भी किसी व्यक्ति में घमंड आता है तो वह अपने जीवन में बहुत सारी चीजें खो देता है । ऐसा होता है क्योंकि घमंड के चलते लोग यह भूल जाते हैं कि उनके जीवन का उद्देश्य क्या है। घमंड के चलते लोग यह भूल जाते हैं कि वह सामने वाले व्यक्ति को नीचा दिखाने के चक्कर में खुद की ही जान से हाथ धो बैठते हैं।


तो आज इस Kahani संग्रह में हम आप लोगों के लिए एक ऐसी ही दिलचस्प Kahani लेकर आए हैं जिससे हमें काफी कुछ सीखने को मिलेगा । आज की इस Kahani में हम आप लोगों को बताएंगे कि क्यों हमें घमंड नहीं करना चाहिए और यदि आप घमंड करते हैं तो आपको इसका खामियाजा किस तरीके से भुगतना पड़ सकता है ।
तो आज के इस Kahani संग्रह में हम बात करेंगे एक कौवे के घमंड की जो कि उसकी मृत्यु का कारण बना तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं Kahani अक्ल के बिना नकल की।
Akal Ke Bina Nakal Ki Hindi Kahani : एक बार की बात है एक जंगल में बहुत ज्यादा सूखा पड़ा और सूखा पड़ने की वजह से सारे जानवर उसमें धीरे-धीरे मरते जा रहे थे । इसी की वजह से वहां के सारे जानवर या तो उस जंगल को छोड़ रहे थे या फिर कहीं ना कहीं मौत के घाट उतर रहे थे। एक पेड़ पर एक कौवा और उसकी पत्नी का जोड़ा रहता था।
धीरे-धीरे वह भी प्यास से व्याकुल होने लगे एक दिन उन दोनों ने यह सोचा कि क्यों ना हम भी इस जंगल को छोड़कर चले जाए। वह जंगल को छोड़कर चले गए और पास ही के एक जंगल में जाकर रहने लगे । एक पेड़ पर उन्होंने अपना घोंसला बना लिया और पेड़ के पास में तालाब उस तालाब में एक पानी में तैरने वाला कुआं था जिसे पानी में तैरना आता था ।
वह पूरे दिन तालाब में खेलता रहता था और उसी में से मछली पकड़ कर खा लिया करता था । जब कौवा को भी नहीं उस कव्वे को देखा और यह देखा कि वह पानी में रहकर बहुत ही आराम की जिंदगी जी रहा है । तो उनके मन में भी यह जिज्ञासा हुई कि क्यों ना हम भी पानी में जा कर देना इससे सीख ले और हम भी तालाब में रहकर मछलियां खाकर अपना अच्छा जीवन व्यतीत करें ।
यह सोचकर दोनों ने तालाब की ओर जाने का फैसला किया वह लोग अब तालाब के किनारे बैठकर कौवा और कवि ने बहुत प्यार से मीठे स्वर में उसका हुए को आवाज दी और उससे कहा कि हे भाई तुम भी हमें तैरना सिखा दो ताकि हमने तुम्हारे जैसे पानी में तैरते हुए मछली पकड़ सकें ।
पानी में तैरने वाले कौवे ने यह बात कही जोड़े से कि क्यों तुम इतनी मेहनत करते हो तुम तालाब के पास में बैठे रहो और जैसे ही तुम्हें भूख लगे जब जब तुम्हें भूख लगे तो मुझे बता दिया करो मैं तुम्हारे लिए मचली पकड़ के दे दिया करूंगा । तुम उससे अपना पेट भर सकते हैं और बहुत दिनों तक ऐसा ही चला जब भी उन दोनों को भूख लगती तो वह पानी वाले कौवे के पास जाते और उससे कहते कि हमें भूख लग रही है और उन्हें मछली पकड़ कर दे दिया करता और अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।
एक बार की बात है उस कौवे के मन में यह बात आई कि हम कब तक पानी वाले कौवे का एहसान लेते रहेंगे उसने निश्चय किया कि आज तो मैं यह कला सीख के रहूंगा और वह पानी वाले कौवे के पास जाकर बोला कि मुझे भी सिखाओ पानी वाले कव्वे ने ऐसा करने से उसे मना कर दिया उसने कहा कि तुम ऐसा नहीं कर पाओगे मित्र तुम पानी में आने का प्रयास न करो बिना सीखे तो तुम डूब जाओगे।
इस बात को सुनकर कौवे को घमंड आ गया और उसने कहा कि तुम अपने अभिमान में बोल रहे हो ऐसा नहीं है कि मैं यह नहीं कर सकता। यह कहकर कौवापानी में कूद गया पानी में कूदने के बाद उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि पानी में काई जमी हुई है । उसका पैर काई में जाकर फस गया जब उसने चोट से अपने पैरों को निकालने का प्रयास किया तो उसकी चोंच भी फंस गईं।
वह छटपटा रहा छटपटा रहा और कुछ देर बाद चोंच फंसने की वजह से दम घुटने लगा दम घुटने की वजह से कुछ देर बाद ही उसकी मृत्यु हो गई और मृत्यु होने के पश्चात जब कौवेकी पत्नी लौटी तो उसने पूछा पानी वाले कौवे से की उसका पति कहां है तो पानी वाले कव्वे ने जवाब दिया कि वह अपने घमंड की वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठा है क्योंकि उसने बिना अकल की नकल की और इसी के कारण वश उसकी मृत्यु हो गई है ।
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FAQ Related To Akal Ke Bina Nakal Ki Hindi Kahani
हमें घमंड क्यों नही करना चाइए?
हमें घमंड इस ले नहीं करना चाहिए क्योंकि इसे हमारा ही नुकसान होता है।
Final Words For Akal Ke Bina Nakal Ki Hindi Kahani
इस Kahani से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने जीवन काल में कभी भी किसी प्रकार घमंड नहीं करना चाहिए और हमें आवेश में आकर कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे कि हम खुद को ही नुकसान पहुंचाने हमें हमेशा शांत चित्त से हर चीज को सोचना चाहिए और इसी के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम ना से अपने आप को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि उसी के साथ साथ हम अपने जीवन में इस मोड़ पर आ जाते हैं जहां पर जाकर हम कहीं के नहीं रहते।