Amazing 10 Types Of Pranayama एक ऐसा Topic है जिसको जानने के लिए बहुत सारे लोग उत्सुक हुआ करते हैं । मैंने अक्सर बहुत लोगों को Amazing 10 Types Of Pranayama के बारे में बताते हुए सुना है परंतु आज हम बात करेंगे Amazing 10 Types Of Pranayama की विस्तार से हम जानेंगे कि वह कौन-कौन से Types Of Pranayama हैं जिनकी मदद से हम अपनी जिंदगी में Positive Change ला सकते है ।
प्राणायाम के प्रकार (Types of Pranayama) को जानने से पहले प्राणायाम का सूक्ष्म परिचय जान लेना आवश्यक है । प्राणायाम प्राण+आयाम से मिलकर बना है । प्राण का अर्थ है “जीवन” तथा आयाम का अर्थ है “विस्तार ” अर्थात (जीवन को विस्तार तक ले जाना या श्वसन क्रिया का विस्तार पूर्वक चलना ) योग के मुख्य रूप से आठ अंग है :-
1.यम
2.नियम
3.आसन
4.प्राणायाम
5.प्रत्याहार
6.धारणा
7.ध्यान
8.समाधि
अतः योग का चौथा अंग है प्राणायाम । Types of Pranayama में मुख्य रूप से तीन क्रियाएं होती है , सांस लेना ,सांस रोकना, साँस छोड़ना इन तीनों क्रिया के माध्यम से हम अपने जीवन को दीर्घायु दे सकते हैं । वैसे तो प्राणायाम के अनेक प्रकार होते हैं किंन्तु आज हम मुख्य प्राणायाम के बारे में जानेगे ।
Table of Contents
10 Types of Pranayama in Hindi
मुख्य रूप से प्राणायाम 10 प्रकार होते हैं ।
1. भ्रामरी प्राणायाम
2 शीतकारी प्राणायाम
3 सूर्यभेदन प्राणायाम
4.उज्जयी प्राणायाम
5.शीतली प्राणायाम
6.प्लाविनी प्राणायाम
7.भस्त्रिका प्राणायाम
8.नाड़ी शोधन प्राणायाम(अनुलोम-विलोम)
9.चन्द्र भेदन प्राणायाम
10.कुम्भक
अब हम इन प्राणायामों (Types of Pranayama) के बारे में सूक्ष्म रूप में समझने का प्रयास करेंगे ।
1. भ्रामरी प्राणायाम :-
भ्रमर शब्द का अर्थ होता है ” काली मधुमक्खी” अर्थात इस प्राणायाम में काली मधुमक्खी जिस प्रकार गुनगुनाती है उसी प्रकार इस प्राणायाम को करने पर गुनगुनाने की ध्वनि उत्पन्न होती है | इसलिए इस Types of Pranayama को भ्रामरी प्राणायाम कहा जाता है।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ :-
तनाव कम करने में , समाधि का अभ्यास करने में , चिंता को दूर करने में मस्तिष्क को शांत करने में, यह प्राणायाम बहुत लाभकारी है
2. शीतकारी प्राणायाम -:
शीतकारी प्राणायाम में सांस लेने के समय में ” सि” की आवाज निकलती है। तथा शीतकारी का अर्थ होता है ” शीतलता का आभास कराना” इस कारण इस प्राणायाम को गर्मियों में ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए, ध्यान रहे सर्दियों में शीतकारी प्राणायाम बहुत कम करना चाहिए।
शीतकारी प्राणायाम के लाभ :-
तनाव कम करना , गुस्सा कम करना, रक्तचाप को कम करने मेँ सहायक भूख और प्यास को नियंत्रण करने मेँ सहायक आदि।
3. सूर्यभेदन प्राणायाम -:
इस प्राणायाम में स्वास दाहिनी नासिका से लिया जाता है। थोड़ी देर सांस को रोका जाता है फिर उसे बाईं नासिका से छोड़ा जाता है
सूर्यभेदन प्राणायाम के लाभ :-
पेट संबंधी संत विकारों को को नष्ट करता है, सिर दर्द कम करने मेँ सहायक निम्न रक्तचाप को बढ़ाने में सहायक , वायु से होने वाले विचारों को दूर करता है आदि |
4. उज्जयी प्राणायाम :-
इस संत प्राणायाम में दोनों नासिकाओं से धीरे धीरे सांस लिया जाता है सास को रोका जाता है और सांस छोड़ते हुए दाएँ नासिका को बंद कर बाएँ नासिका से सांस को धीरे धीरे निकाला जाता है जब दोनों नासिका से सांस को लिया जाता है तो थायराइड वाले हिस्से को कम्पन्न कराके ध्वनि उत्पन्न की जाती है ।
उज्जयी प्राणायाम के लाभ :-
यह Types of Pranayama प्राणायाम बुढ़ापे को टालता है अर्थात जवान रखता है थायराइड रोगियों के लिए यह प्राणायाम वरदान है गले से संबंधित विकार को दूर करता है हृदय रोगियों के लिए बहुत अच्छा प्राणायाम है |
5. शीतली प्राणायाम :-
शीतली प्राणायाम का अर्थ है “शांत रहना” यह ठंडक पहुंचाना है | शीतली प्राणायाम शीतकारी प्राणायाम के समान ही है , लेकिन शीतकारी प्राणायाम में जीभ को नली के समान नहीं बनाया जाता है परन्तु शीतली प्राणायाम में जीभ को नली के समान बनाया जाता है जिन्हें शीतली प्राणायाम करने में कठिनाई होती है वह व्यक्ति पहले शीतकारी प्राणायाम कर सकते हैं |
शीतली प्राणायाम के लाभ :-
तनाव कम करना , गुस्सा कम करना, रक्तचाप को कम करने मेँ सहायक भूख और प्यास को नियंत्रण करने मेँ सहायक आदि।
6. प्लावनी प्राणायाम :-
प्लावन एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “तैरना”। अर्थात इस प्राणायाम से व्यक्ति अपने शरीर को इतना हल्का बना लेता है की उसका शरीर कमल के पत्ते के समान पानी पर तैरता रहता है। इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले लंबी गहरी सांस लें और उसे कुछ समय के लिए रोककर रखें इसके पश्चात गर्दन को सीधा रखकर धीरे-धीरे श्वास को बाहर छोड़ें यह प्रक्रिया 4 से 5 बार दोहराएं
प्लावनी प्राणायाम के लाभ :-
पाचन क्रिया में सुधार, ध्यान शक्ति को बढ़ाना ,तनाव को कम करना , मोटापे को नियंत्रित करना, तैराकी सीखने में सहायक है।
7. भस्त्रिका प्राणायाम :-
भस्त्रिका शब्द का अर्थ होता है ” धोकनी ” अर्थात वस्त्रिका एक ऐसा Types of Pranayama है इसमें शुद्ध वायु अंदर प्रवेश करती है और अशुद्ध वायु को शरीर से बाहर निकाला जाता है सांस की इस प्रक्रिया को तेज गति से करना है भस्त्रिका कहलाता है । वर्तमान में चल रही वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए भी यह प्राणायाम बहुत लाभकारी है ,भस्त्रिका प्राणायाम से ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है ।
भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ :-
संपूर्ण ऊतकों को ऑक्सीजन प्राप्त होता है , मन को एकाग्रता मिलती है, ध्यान शक्ति को बढ़ावा मिलता है, प्रत्यय संचालन में सहायक है ।
8. नाड़ी शोधन प्राणायाम या अनुलोम विलोम:-
इस प्राणायाम में बाएं नासिका से सांस लेते हैं और धीरे-धीरे दाहिनी नासिका से स्वास को निकालते हैं फिर दाहिनी नासिका से स्वास लेते हैं और बाएं नासिका से स्वास को छोड़ते हैं यह एक चक्र होता है इस तरह शुरुआत में 5 से 10 बार इसका अभ्यास करें और धीरे-धीरे इसको बढ़ाते रहें ।
नाड़ी शोधन प्राणायाम के लाभ :-
चिंता और तनाव को कम करने में , शरीर में ऊर्जा का मुक्त प्रवाह करने में , प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में , चित को शांत बनाए रखने में इत्यादि |
9. चंद्र भेदन प्राणायाम :-
इस Types of Pranayama से हमारे शरीर में स्थित इडा नाडी शुद्ध होती है इसको करने से चंद्र नाड़ी क्रियाशील हो जाती है इस कारण इस प्राणायाम का नाम चंद्र भेदन प्राणायाम पड़ा | इस प्राणायाम में अपने बाएं हाथ को बाएं पैर के घुटने पर रखें और दाएं हाथ के अंगूठे को दाएं नासिका पर रखें आप आए नासिका से लंबी गहरी सांस लें और बाएं नासिका को उंगलियों से बंद कर दाएं नासिका से अंगूठे को हटाकर धीरे-धीरे सांस को छोड़ें इस प्रक्रिया को प्रारंभ में 5 से 10 बार दोहराएं |
चंद्र भेदन प्राणायाम के लाभ :-
मानसिक तनाव को कम करना , आंखों की समस्या को दूर करना , ब्लड प्रेशर को कम करना
10. कुम्भक प्राणायाम :-
कुंभक प्राणायाम का अभ्यास करके आप जीवन भर स्वस्थ रह सकते हैं । कुंभक प्राणायाम मे सांस को अंदर तथा बाहर की ओर रोका जाता है , नाक के क्षेत्रों से लंबी गहरी सांस लेकर कुछ समय के लिए रोके रखना आंतरिक कुंभक कहलाता है | तथा बाहर की तरफ सांस को छोड़कर कुछ समय के लिए रुकना बाहरी कुंभक कहलाता है | यह बहुत आसान प्राणायाम है , शुरुआत में 10 से 15 बार इस प्राणायाम को दोहराया जाना चाहिए ।
कुंभक प्राणायाम के लाभ :-
दीर्घायु प्राप्त करने के लिए , गति को उचित बनाए रखने के लिए , आंखों से संबंधित रोगों से बचने के लिए कुंभक प्राणायाम बहुत ही अच्छा प्राणायाम है । अतः प्राणायाम हमारे जीवन को रोग मुक्त बनाने में तथा हमें दीर्घायु प्राप्त करने में सहायक होता है।
ध्यान रखने योग्य बातें :-
प्राणायाम करने से पहले संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेना आवश्यक है क्योंकि कुछ प्राणायाम ऐसे होते हैं जिन्हे कुछ बीमारियां होने पर नहीं किया जाता है अतः प्राणायाम के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर या किसी विशेषज्ञ से सलाह लेने के पश्चात ही प्राणायाम करना उचित होता है ।
FAQ Related To Amazing 10 Types Of Pranayama in Hindi
What are three Pranayama Types?( Pranayama के तीन types कौनसे हैं?)
प्राणायाम के तीन Types होते हैं पूरक, रेचक और कुंभक इन तीनों Types में अलग-अलग क्रियाओं को रखा गया है। जिनकी मदद से इन तीनों Types को Define किया जाता है।
What is the right time for Pranayama?
(Pranayama करने का सही वक्त क्या होता है?)
प्राणायाम को करने का सही वक्त होता है सुबह का जिसे हम ब्रह्म मुहूर्त के नाम से भी जानते हैं जो की सूर्य उदय से 2 घंटे पहले हुआ करता है।
Can we do Pranayama twice a day?
( क्या हम Pranayama हम दिन में दो बार कर सकते हैं?)
जी हां बिल्कुल Pranayama को दिन में दो बार किया जा सकता है । उसके फायदे भी लिए जा सकतें हैं ।
Final words for Amazing 10 Types of Pranayama in Hindi
इस Article के माध्यम से हमने आप लोगों तक 10 Amazing Types of Pranayama के बारे में बताने का प्रयास किया है । हमने यह भी बताया है कि कैसे हम Types of Pranayama को कर सकते हैं और उनके लाभ क्या है।हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह Article ‘Amazing 10 Types of Pranayama in Hindi’ पसंद आया होगा । इस आर्टिक्ल Amazing 10 Types of Pranayama in Hindi को पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद ।