Dar Ka Samna Swami Vivekananda Hindi Kahani : 50 amazing Life-Changing Stories

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Dar Ka Samna Swami Vivekananda Hindi Kahani
Dar Ka Samna Swami Vivekananda Hindi Kahani

Dar Ka Samna Swami Vivekananda Hindi Kahani : हर व्यक्ति को किसी ना किसी वक्त पर किसी ना किसी मोड़ पर जिंदगी में किसी चीज से डर लगने लगता है हमारे जीवन में हर व्यक्ति को किसी चीज से डर जरूर लगता है और यदि हम उसका सामना नहीं करते तो वह डर बढ़ता ही जाता है ऐसा स्वामी विवेकानंद जी के साथ भी हुआ तो हम आज इस 50 अमेजिंग लाइफ चेंजिंग स्टोरी के माध्यम से आप लोगों के लिए एक ऐसी ही कहानी लेकर आए हैं

Dar Ka Samna Swami Vivekananda Hindi Kahani

जिसके माध्यम से हम आप लोगों को बताने का प्रयास करेंगे कि स्वामी विवेकानंद ने अपने डर पर विजय हासिल की और कैसे हमें अपने डर से डरने की बजाय उसका सामना करना चाहिए और कैसे हमें आगे बढ़ना चाहिए अपने जीवन में यदि हम किसी भी तरह से अपने डर का सामना नहीं करते हैं डर के आगे हमें यह नहीं समझ में आता है कि किस तरह से हमें जीवन में अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए डर का सामना करते हुए तो हम अपने जीवन में किसी भी प्रकार के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते तो चलिए बिना किसी तरह के वक्त को जाया किए कहानी की ओर बढ़ते हैं।Dar Ka Samna

तो इस कहानी की शुरुआत होती है कि एक बार की बात है स्वामी विवेकानंद अपने दिनचर्या के कार्य में से वक्त निकालकर मंदिर की ओर गए वहीं मंदिर में उन्होंने पूजा अर्चना की और मंदिर में मैं थोड़ी देर बैठे उनका मन शांत प्रतीत हो रहा था स्वामी विवेकानंद अपने विचारों में विलीन थे उन्होंने प्रसाद लिया और पंडित जी से प्रसाद लेने के बाद वह पैदल ही अपने घर की ओर लौटने लगे जब भी हम रास्ते में होते हैं तो अक्सर मंदिर के आसपास बंदर होते ही हैं Dar Ka Samna

और स्वामी विवेकानंद के पीछे एक बंदर प्रसाद को देख कर लग गया स्वामी विवेकानंद ने बंदर की ओर ध्यान नहीं दिया और वह आगे बढ़ते चले गए थोड़ी दूर ही चले तो वहां पर उन्होंने जाकर देखा कि बहुत सारे बंदर टोली बनाकर बैठे थे और स्वामी विवेकानंद के हाथों में प्रसाद को देखकर वह उनकी ओर बढ़ने लगे स्वामी विवेकानंद को बंदरों को देखकर डर लगा और उन्हें लगा कि शायद वह बंदर उन पर झपट्टा मार दें या फिर उन्हें चोट ना पहुंचा दें Dar Ka Samna

स्वामी विवेकानंद को इस बात का डर हुआ कि कहीं मैं बंदर उन्हें चोट ना पहुंचाने से की वजह से वह मुड़कर धीरे-धीरे जाने लगे स्वामी विवेकानंद ने तो पहले तेज चलने की कोशिश की और बंदरों से छुटकारा पाने की कोशिश की पर जैसे-जैसे वह आगे बढ़ते बंदर उतनी ही तेजी से उनके पीछे भागने लगते स्वामी विवेकानंद को समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें क्या करना चाहिए ।Dar Ka Samna


और स्वामी विवेकानंद मंदिर की ओर चल पड़े जैसे ही वे मंदिर की ओर जा रहे थे बंदरों की टोली ने उनके पीछे भागना शुरू कर दीया इस सारी चीजों को एक सन्यासी बाबा देख रहे थे सन्यासी बाबा मंदिर के पास बैठे स्वामी विवेकानंद को डरा हुआ देख रहे थे तो वह स्वामी विवेकानंद के पास आए और उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा कि पुत्र यदि तुम अपने डर का सामना नहीं करोगे तो वह डर तुम्हें डर आता रहेगा और ऐसा ही यहां पर यह बंदर भी तुम्हें डर आते ही रहेंगे यदि तुम्हें जीवन में आगे बढ़ना है Dar Ka Samna

तो अपने डर को अपने वश में करना होगा और किसी भी कार्य से डरना नहीं चाहिए इतना कहकर उन्होंने कहा कि अपने डर पर विजय प्राप्त करो बंदरों का सामना करो यह उनके दिमाग में चलना शुरू कर दिया उन्होने बंदर की ओर चलना शुरू कर दिया बंदर ने धीरे-धीरे डर के भागने लगे इस बात का एहसास विवेकानंद को हुआ और स्वामी विवेकानंद जैसे-जैसे बंदरों की तरफ बढ़ते वह बंदर डर के मारे भागने लगे स्वामी विवेकानंद का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया Dar Ka Samna

उन्होंने दूर से उन सन्यासी बाबा को प्रणाम किया और वह जीवन का पाठ सीख चुके थे कि हमें यदि अपने जीवन में आगे बढ़ना है तो किसी भी प्रकार के डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए और उसका सामना करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए इसी इसी के साथ स्वामी विवेकानंद अपने जीवन में आगे बढ़े और हम सब जानते हैं कि आज स्वामी विवेकानंद हमारे बीच नहीं है पर वह आज भी बहुत लोगों का मार्गदर्शन करते हैं अपनी सीख से।Dar Ka Samna

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50 amazing Life Changing Stories : Dar Ka Samna Swami Vivekananda Hindi Kahani

आज की इस कहानी से हमने यह सीख ली कि हमें अपने जीवन में इस बात का ध्यान देना बहुत जरूरी होता है कि यदि हम किसी चीज से डर रहे हैं तो उसका डटकर हमें सामना करना होता है यदि हम उस चीज का डटकर सामना नहीं करते हैं तो हमारे जीवन में बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना हमें करना पड़ता है

और हमें इस चीज का ध्यान देना चाहिए कि किसी भी तरह की समस्या यदि हमारे मन में डर उत्पन्न कर रही है तो हमें उसका सामना करते हुए उससे लड़ना चाहिए ना कि उसे कमर दिखाकर भागना चाहिए यदि हम ऐसा करते हैं तो हम जीवन में किसी भी तरह के डर पर विजय पा सकते हैं।

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